Shri Raj = Shri Krishna
Piya = Shri Krishna
Piyuji = Shri Krishna
अखंड लीला अहेनिस, हम खेलें पिया के संग।
पूरे पीउजी मनोरथ, ए सदा नवले रंग।।४४
... हम सब सखियाँ रात-दिन श्री कृष्णजीके साथ अखण्ड लीला करतीं हैं. प्रियतम श्री कृष्णजी सदैव नई नई लीलाओं द्वारा हमारे मनोरथ पूर्ण करते हैं.
श्रीराज व्रज आए पीछे, व्रज वधू मथुरा ना गई।
कुमारका संग खेल करते, दान लीला यों भई।।४५
श्री राजजी (श्री कृष्णजी) जबसे व्रजमें आए, तबसे व्रजवधु (गोपिकाएँ) दूध-दधि बेचनेके लिए मथुरा नहीं गइंर्. कुमारिकाएँ (अक्षरकी सुरताकी सखियाँ) गोपियोंकी देखादेखी दूध दधि बेचनेका बहाना बनाकर श्री कृष्णजी के साथ खेल करतीं थीं. (उनका दूध-दधि लूटकर श्री कृष्णजी ग्वालोंको देते थे) इस प्रकार उनके साथ दानलीला होती थी.
प्रकरण १९
श्री कलश
(हिन्दुस्तानी)
Piyaji= Raaj = Shri Krishna
दूध दधी माखन ल्यावें, हम पियाजीके काज।
तित दधी हमारा छीन के, देवें गोवालोंको राज।।४८
हम सब सखियाँ प्रियतम श्री कृष्णजीके लिए ही दूध, दधि तथा मक्खन लातीं हैं. उस समय हमारे दूध-दधि छीनकर स्वयं श्री राजजी ग्वाल-बालोंमें वितरित कर देते हैं.
प्रकरण १९
श्री कलश
(हिन्दुस्तानी)
Piya = Shri Krishna
Piyuji = Shri Krishna
अखंड लीला अहेनिस, हम खेलें पिया के संग।
पूरे पीउजी मनोरथ, ए सदा नवले रंग।।४४
... हम सब सखियाँ रात-दिन श्री कृष्णजीके साथ अखण्ड लीला करतीं हैं. प्रियतम श्री कृष्णजी सदैव नई नई लीलाओं द्वारा हमारे मनोरथ पूर्ण करते हैं.
श्रीराज व्रज आए पीछे, व्रज वधू मथुरा ना गई।
कुमारका संग खेल करते, दान लीला यों भई।।४५
श्री राजजी (श्री कृष्णजी) जबसे व्रजमें आए, तबसे व्रजवधु (गोपिकाएँ) दूध-दधि बेचनेके लिए मथुरा नहीं गइंर्. कुमारिकाएँ (अक्षरकी सुरताकी सखियाँ) गोपियोंकी देखादेखी दूध दधि बेचनेका बहाना बनाकर श्री कृष्णजी के साथ खेल करतीं थीं. (उनका दूध-दधि लूटकर श्री कृष्णजी ग्वालोंको देते थे) इस प्रकार उनके साथ दानलीला होती थी.
प्रकरण १९
श्री कलश
(हिन्दुस्तानी)
Piyaji= Raaj = Shri Krishna
दूध दधी माखन ल्यावें, हम पियाजीके काज।
तित दधी हमारा छीन के, देवें गोवालोंको राज।।४८
हम सब सखियाँ प्रियतम श्री कृष्णजीके लिए ही दूध, दधि तथा मक्खन लातीं हैं. उस समय हमारे दूध-दधि छीनकर स्वयं श्री राजजी ग्वाल-बालोंमें वितरित कर देते हैं.
प्रकरण १९
श्री कलश
(हिन्दुस्तानी)
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