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Monday, April 23, 2012

The last will of Mahamati

The last will of Mahamati
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Oh dear Sakhi, hey Sundarsath, are you not the sathi of Sundarbai? Are you not the brahmatma?
Please read this what Mahamati Prannath conveyed to us just before leaving this world for Paramdham.

अब हम चले धाम को, साथ अपना ले।
लिख्या कौल फुरमान में, आए पोहोंच्या ए।।१

अब हम अपने सुन्दरसाथको लेकर परमधाम चल रहे हैं. कुरानमें लिखी हुई भविष्य वाणीका समय आ पहुँचा है.
Now I am leaving for Paramdham along with my Sundarsath. The prophecy in the holy Quran has come near.

सखी हम तो हमारे घर चले, तुम हूजो हुसियार।
सुरता आगे चल गई, हम पीठ दई संसार।।२

हे आत्माओ ! हम अपने घर चल रहे हैं, तुम सब सावधान हो जाओ. हमारी सुरता परमधामकी ओर आगे बढ. गई, इसलिए हमने संसारको पीठ दे दी है.
O my dear celestial souls, now I am leaving for my abode, you be alert. My astral consciousness that came to visit here has already left for Paramdham and I have already shown my back to the world.

हममें पीछे कोई ना रहे, और रहो सो रहो।
गुन अवगुन सब के माफ किए, जिन जो भावे सो कहो ।।३

अब हममेंसे कोई भी आत्मा पीछे नहीं रहेगी और जिनको रहना हो वे रहें. सबके गुण (पुण्य) अवगुण (पाप) को क्षमा कर दिया है. जिनको जो कहना है वह निःसङ्कोच कहें.
All the souls will join me to Paramdham, no one will long to be here but those who wants to live longer may do so. I have forgiven all the good or bad deeds of everyone. Whoever wants to say anything to me can come and say it.
अब हम रह्यो न जावहीं, मूल मिलावे बिन।
हिरदें चढ चढ आवहीं, संसार लगत अगिन।।४

अब हम मूल मिलावामें पहुँचे बिना नहीं रह सकते. परमधामकी स्मृति हृदयमें बार-बार आ रही है, इसलिए यह संसार अग्निके समान लगने लगा है.
Now I cannot stay away from moolmilava and the heart is filled with longing to be at Paramdham and this world has become a fire.

सोई वस्तर सोई भूषन, सोई सेज्या सिनगार।
सोई मेवा मिठाइयां, अलेखें अपार।।५

अब हमें परमधामके वही वस्त्राभूषण, रमणीय शय्या, दिव्य शृङ्गार, अनन्त मेवा-मिठाइयाँ याद आ रही हैं.

The same eternal dress and the same ornaments and same singar and the same dried fruits and sweets which cannot be expressed of the beyond.

सोई धनी सोई वतन, सोई मेरो सुंदर साथ।
सोई विलास अब देखिए, दोरी खैंची उनके हाथ।।६

वही धामधनी, वही दिव्यधाम, वही अपने सुन्दरसाथ तथा परमधामका वही आनन्द-विलास दिखाई देने लगा है. धामधनीने हमारी सुरतारूपी डोरीको अपने हाथोंसें खींच ली है.
The same Lord, the same abode and the same my beautiful companions(sundar sath all the companions of Sundarbai).
सोई चौक गलियां मंदिर, सोई थंभ दिवालें द्वार।7
सोई कमाड सोई सीढियां, झलकारों झलकार।।

वही परमधामके चौक, गलियाँ, मन्दिर, स्तम्भ, भीत (दीवारें), द्वार, किवाड., सीढि.याँ दृष्टिगोचर हो रही हैं. सर्वत्र उनका ही प्रकाश जगमगा रहा है.
Mahamati is describing Paramdham. It is the same square crossing, alleys, mandir(the room within), the same pillars, walls and doors, the same windows, the same strairs which are brilliantly shining their lights.

सोई मोहोल सोई मालिए, सोई छज्जे रोसन।
सोई मिलावे साथ के, सोई बोलें मीठे वचन।।८

वही ऊँचा रङ्गमहल, उसकी ऊँची भौमें, वही तीसरी भौमका छज्जा प्रकाशमान है, जहाँ पर सुन्दरसाथ मिलकर बैठते हैं और धामधनीसे मीठे वचन बोलते हैं. ये सब मुझे अब याद आ रहे हैं.
The same palace Rang mohol, and tall floors, and the same terrace shining brightly. The same meeting of sundarsath and same are the exchange of sweet words.

सोई झरोखे धाम के, जित झांकत हम तुम।
सो क्यों ना देखो नजरों, बुलाइयां खसम।।९

वही तीसरी भौमका झरोखा याद आ रहा है, जहाँसे हम तुम नीचे झाँकते थे. जब धामधनी स्वयं हमें बुला रहे हैं तब तुम इन दृश्योंको क्यों नहीं देखते ?
Mahamati is explaining the Paramdham.
It is the same window, remember from where we peep out. Why are you not seeing the sight of our Lord calling us.
सोई खेलना सोई हंसना, सोई रस रंग के मिलाप।
जो होवे इन साथ का, सो याद करो अपना आप।।१०

परमधाममें हमारा वही खेलना, हँसना तथा प्रेमानन्दमें मिलना, यह सब हमें याद आ रही है. जो परमधामकी इन ब्रह्मात्माओंमेंसे हैं, वे सभी अपनी लीलाओंको स्वयं याद करें.
Those Sakhi who are from Paramdham, remember your own bliss of Paramdham.
The same playing games, laughing and the same union full with nectar of love.
The soul of Paramdham the sundarsath will remember this within the self. When sundarsath becomes soul conscious she will remember everything.
Those Sakhi who are from Paramdham, remember your own bliss of Paramdham.
--------PLEASE READ----- our Lord in Paramdham is Shyam

सोई चाल गत अपनी, जो करते माहें धाम।
हंसना खेलना बोलना, संग स्यामाजी स्याम।।११

हम परमधाममें जिस प्रकार चलते थे तथा श्याम-श्यामाजीके साथ हँसते, खेलते व बोलते थे, उन प्रसङ्गोंको याद करो.
How was our actions and how we behaved in Paramdham. How we laughed, played and talked along with Shyamaji and SHYAM. The same actions, same attitude that is required!
This is the description of Paramdham and this is the last instruction to us by Mahamati Prannath.
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सोई बातें प्रेम की, सोई सुख सनेह।
सुख अखंड को भूलके, क्यों रहे झूठी देह।।१२

वे ही प्रेम भरी बातें, स्नेहपूर्ण सुख याद आ रहे हैं, ऐसे अखण्ड सुखोंको भूलकर इस झूठे शरीरके मोहमें क्यों पड.े हो ?

The same talk of love, the same blissful affection, forgetting the eternal everlasting bliss how can one get attached to this perishable false body?

सोई सेज्या सोई मंदिर, सोई पीउजी को विलास।
सोई मुख के मरकलडे, छूटी अंग की आस।।१३

वही रङ्गपरवाली मन्दिर एवं वही सुख-शय्या, धनीजीका वही हाँस-विलास, वही मन्दमुस्कान, इन सबको याद करते हुए इस झूठी देहकी आशा छूट गई है.

Its the same rangparwali mandir and the same cot and the same blissful play with beloved. Remembering this blissful memories, the soul has no hope with this body.

सोई रसीले रंग भरे, निरखें नेत्र चढाए।
सुंदर मुख सनकूल की, भर भर अमृत पिलाए।।१४

धामधनी उन्हीं रसीले तथा आनन्द भरे नेत्रोंसे हमें निहार रहे हैं. प्रसन्न मुखारविन्दसे शोभायमान होकर हमें प्रेमके प्याले भर-भर कर पिला रहे हैं.
Our beloved Lord of Paramdham with eyes full of nectar of love and filled with colors of joy is watching us and gleeful beautiful face is offering the nectar of immortality filling the cups of life.

Read celestial soul! Read this! Mahamati Prannath is preparing to leave this mortal world and at this last moment of his life he is giving us instructions.

सोई कटाक्षे स्यामकी, सींचत सुरत चलाए।
बंके नैन मरोर के, द्रष्टें द्रष्ट मिलाए।।१५

श्यामसुन्दर-धनीके वही कटाक्षपूर्ण नेत्र हैं, जिनसे वे हमारी सुरताको अपनी ओर खींचते हुए हमारे हृदयमें स्नेहका सिंचन करते हैं तथा तिरछी दृष्टिसे हमारी आँखसे आँख मिलाते हैं.
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Same are the sharp eyes of Shyam which attracts our astral body and fills our heart with love and with skew-eyed he meets our eyes. Remember, all your action must be centered so you can see eye to eye with our Lord Shyam!
Lord is looking at us with questioning eyes? Do we remember anything?

कहां कहूं सुख साथ को, देखें भृकुटी भौंह चढाए ।
सुखकारी सीतल सदा, सुख कहा केहेसी जुबांए।।१६

सुन्दरसाथके उस सुखका क्या वर्णन करूँ जब धनी अपनी भौंहे चढ.ाकर प्रेमपूर्वक उन्हें निहारते हैं. धामधनीकी ऐसी सदा सुखदायी शीतल नयनोंके सुखका वर्णन यह जिह्वा कैसे कर पाएगी ?

What can I say about the bliss of sundarsath when they look at the Supreme with raised brows. The eternal cool blissful eyes how can I describe the supreme bliss from this mortal tongue.

सूछम सरूप ने सुंदरता, उनमद सारे अंग।
बराबर एकै भांत के, और कै विध के रस रंग।।१7

सुन्दरसाथके सूक्ष्म चिन्मय स्वरूपकी सुन्दरता तथा उनके अङ्ग-प्रत्येङ्गोंमें भरा हुआ प्रेम-उन्माद सबमें एक ही प्रकारका होता हुआ भी उससे विभिन्न प्रकारके आनन्दकी अनुभूति होती है.

The beauty of souls of Paramdham are subtle and full of ectasy in the whole being. They are all same type but they have variety in the colour of nectar of joy!

एक दूजे के चित पर, चाल चले माहों माहें।
पात्र प्रेम प्रीत के, हांस विनोद बिना कछू नांहें।।१८

ब्रह्मात्माएँ परस्पर एक दूसरीके मनोनुकूल चाल चलती हैं. प्रेम-प्रीतिके पात्र इन ब्रह्मात्माओंमें हास्य-विनोदके अतिरिक्त अन्य कोई व्यवहार नहीं है.
The souls of Paramdham (momin, brahmshristi) they walk to give happiness to other. There is harmony and unity consciousness. All are our actions towards others is to give happiness to others. Sundarsath are the ones who deserve the love and affection hence they just involve in humour and laughter and nothing much serious.

बोए नेक आवे इन घर की, तो अंग निकसे आहे।
सो तबहीं ततखिन में, पीउजी पें पोहोंचाए।।१९

ऐसे परमधामकी थोड.ी-सी भी सुगन्धि यदि आ जाए, तो हमारी आत्मा तत्क्षण इस देहको त्याग देती और धामधनीके चरणोंमें पहुँच जाती.
Even a scent of the abode if the soul gets of Paramdham, instantly then it will reach the beloved.

याद करो जो मागिया, धनिएं खेल देखाया कर हेत ।
महामत कहे मेहेबूब के, सुखमें हो सावचेत।।२०

हे सुन्दरसाथजी ! याद करो कि धामधनीसे तुमने जैसा खेल देखनेकी माँग की थी, धनीने उसे स्नेह पूर्वक दिखा दिया. इसलिए महामति कहते हैं कि धामधनीके आनन्दको पानेके लिए तैयार हो जाओ.
Remember what we asked from the Supreme Master (Dhani) and hence out of affection the Master showed us this game. Be alert now says Greater Intelligence (Mahamati Prannath) to gain the bliss of the beloved.

प्रकरण ९३ किरंतन

कहे महंमद सुनो मोमिनों, ए उमी मेरे यार।
छोड दुनी ल्यो अरस को, जो अपना वतन नूर पार।।7३

हे ब्रह्मात्माओ ! सुनो, श्यामाजी (सद्गुरु) ने भी यही कहा है कि ये अनपढ. (उभी-चातुर्यपूर्ण लौकिक ज्ञाानसे अनभिज्ञा)) आत्माएँ ही मेरे श्रेष्ठ मित्र हैं. इस...लिए नश्वर संसारको छोड.कर अखण्ड धामका मार्ग ग्रहण करो, अक्षरसे भी परे हमारा अक्षरातीत परमधाम है.

O my celestial souls, Satguru also has said these less knowledgeable souls are my true friends and not those who think themselves very street smart (loaded with extra knowledge), Reject the world and accept our original abode the Paramdham -Aras (that is beyond Noor Akshar where resides Tajalla Noor Aksharateet)

प्रकरण ३ श्री खुलासा

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