O Sundarsath, lets all go to the Paramdham.
चलो चलो रे साथजी, आपन जैए धाम।
मूल वतन धनिएं बताया, जित ब्रह्म सृष्टि स्यामाजी स्याम ।।१
हे सुन्दरसाथजी ! चलो, हम सब साथ मिलकर परमधाम जाएँ. परमधामकी बात सद्गुरुने हमें बताई है, जहाँ ब्रह्मसृष्टि और श्यामाजी सहित श्री श्याम (अक्षरातीत श्रीकृष्णजी) विराजमान हैं.
O Sundarsath, lets all go to the Paramdham. The original abode our Lord has shown where dwells the celestial souls (brahmshristhi),Shyamaji and Shyam.
मोहोल मंदिर अपने जो देखिए, देखिए खेलन के सब ठौर ।
जित है लीला स्याम स्यामाजी, साथजी बिना नाहीं कोई और ।।२
अब तुम अपने महल-मन्दिरोंकी शोभा एवं सभी क्रीडास्थलोंको ध्यानसे देखो, जहाँ पर श्री राजश्यामाजी तथा सुन्दरसाथके अतिरिक्त अन्य कोई भी नहीं है.
Now see the splendour of our palaces, buildings and all the places of the sports where Shyam, Shyamaji and Sundarsath and none other play various sports.
रेत सेत जमुनाजी तलाब, कै ठौर बन करे बिलास।
इसक के सारे अंग भीगल, रेहेस रंग विनोद कै हांस ।।३
श्रीयमुनाजी, हौजकौेसर ताल तथा विभिन्न वन-उपवनोंमें मोतियोंकी भाँति चमक रहे श्वेत रेत कण हैं, जहाँ पर विभिन्न प्रकारके क्रीडास्थल बने हुए हैं. उनमें प्रेमसिक्त (प्रेमसे सींचे हुए) अंगोंसे हम श्रीराजजीके साथ एकान्तमें आनन्द विलासका अनुभव करें.
Remember dear sundarsathji the white sand in the bank of the Jamuna lake where there are various types of sporting spots and forest. How drenched in the infinite love of Lord in ourselves we lived blissfully and merrily with the Lord.
पसु पंखी मांहें सुन्दर सोभित, करत कलोल मुख मीठी बान ।
अनेक विध के खेल जो खेलत, सो केते कहूं मुख इन जुबान ।।४
उन सुन्दर वनोंमें भाँति-भाँतिके पशु पक्षी शोभायमान हैं तथा वे अपनी मीठी वाणीसे धनीजीका गुणानुवाद करते हुए क्रीड.ा कर रहे हैं. वे अनेक प्रकारके ऐसे खेल खेलते हैं, जिनका वर्णन इस जिह्वा द्वारा कहाँ तक करूँ ?
The splendour of animals and the birds in this abode and their melodious talks. The various types of games we played how can I describe with this physical tongue.
एही सुरत अब लीजो साथजी, भुलाए देओ सब पिंड ब्रह्मांड ।
जागे पीछे दुख काहेको देखे, लीजे अपना सुख अखंड ।।५
हे सुन्दरसाथजी ! परमधामकी इन लीलाओंमें अपनी सुरता (ध्यान) लगाओ तथा इस नश्वर शरीर व संसारके सुखोंको छोड. दो. जागृत होनेके पश्चात् इस संसारके कष्टोंको क्यों भोग रहे हो ? अब तो परमधामके अखण्ड सुखोंका ही अनुभव करो.
Now comtemplate in this O dear sundarsathji (focus within) and forget this body and the universe(physical). Now that you have awakened then why are you accepting the miseries of the world, accept the self bliss which is eternal and indivisible. (Awaken- Be conscious. Realize the self- nij, contemplate in the real being - the surat and the real abode Paramdham, experience the eternal joy- nijanand. Focus within and forget that is external the body, the world and the misery).
साथ मिल तुम आए धाम से, भूल गए सो मूल मिलाप ।
भूलियां धाम धनी के वचन, ना कछू सुध रही जो आप ।।६
तुम सब मिलकर परमधामसे इस नश्वर संसारके खेल देखनेके लिए आए हो. परन्तु यहाँ आने पर परमधामके मूल सम्बन्ध और पारस्परिक मिलनको भी भूल गए हो. इतना ही नहीं, इस खेलमें आनेसे पूर्व धामधनीजीने जो वचन कहे थे, उनको भी तुम भूल गए हो. तुम्हें तो स्वयंकी सुधि भी नहीं रही.
O my dear Sundarsath, you all have come here from the Supreme abode, you forgot how the original union is! You have forgotten the words of our Lord and you have no consciousness of your own self.
Who you are, where is your abode, Are you awake? What is the promise that you made to Lord?
धनी भेज्या फुरमान बुलावने, कह्या आइयो सरत इन दिन ।
खेलमें लाहा लेयके आपन, चलिए इत होए धन धन ।।
धामधनीने तुम्हें परमधाम बुलानेके लिए शास्त्रोंके द्वारा अपना सन्देश भेजा तथा कहा कि निश्चित समय पर जागृत होकर पुनः परमधाम लौट आओ. इस लिए धनीजीकी आज्ञाानुसार इस खेलमें उनकी पहचानका लाभ लेकर यहाँ भी धन्य होते हुए परमधाम चलो.
Lord has sent the message to call you and that your astral body must return to original abode. Understanding the Supreme and His grace in this game and feeling extremely grateful lets all go back.
चौदे लोक में झूठ बिस्तरयो, तामें एक सांचे किए तुम ।
हंसते खेलते नाचते चलिए, आनंद में बुलाइयां खसम ।।८
चौदह लोकोंमें झूठी मायाका ही विस्तार है. इस मायामें सद्गुरुने मात्र तुम (सुन्दरसाथ)को ही सत्य माना है. इसलिए अब इस खेलसे प्रसन्न चित्त होकर, हँसते, खेलते, नाचते तथा विनोद करते हुए परमधाम चलो. धामधनी परमधामके आनन्दमें हमें बुला रहे हैं.
The false perception(ego-body consciuousness) is spread in all 14 physical lokas and Sadguru you brought the truth and made this true. Merrily, dancing joyously let us go, our Lord has invited us in the eternal bliss.
अब छलमें कैसे कर रहिए, छोड देओ सब झूठ हराम ।
सुरत धनीसों बांध के चलिए, ले ब्रहा रस प्रेम काम ।।९
अब इस मिथ्या जगतमें कैसे रहा जाए ? इस झूठे संसारके कपट और प्रपञ्चपूर्ण व्यवहारको छोड. दो. धनीके विरह रसका आस्वाद लेते हुए प्रेममिलनकी कामना सहित धनीजीसे अपनी सुरता बाँधकर परमधाम चलो.
How can you continue to live in this world of illusion, let go all that is false and forbidden. Binding the soul with the Supreme Lord lets go and accept the juice of Brahm of divine love.
Brahm is ras swaroop , Brahm is Love. Bliss is one part of Brahm(Shyama) and souls are parts of the Bliss.
जो जो खिन इत होत है, लीजो लाभ साथ धनी पेहेचान ।
ए समया तुमें बहुर न आवे, केहेती हों नेहेचे बात निदान ।।१०
हे सुन्दरसाथजी ! यहाँ पर जितने पल व्यतीत हो रहे हैं, उनमें धामधनीकी पहचानका लाभ प्राप्त करो. ऐसा सुअवसर बार-बार नहीं मिलेगा. यह मैं तुम्हें निश्चयपूर्वक कह रहा हूँ.
Every moments that you spend here, benefit it to understand and know the Lord. This moment you shall never get again. I am saying you the true resolve.
अब जो घडी रहो साथ चरने, होए रहियो तुम रेन समान ।
इत जागे को फल एही है, चेत लीजो कोई चतुर सुजान ।।११
अब तुम जितने समय तक सुन्दरसाथके बीचमें रहो, तब तक चरण-रजके समान विनम्र होकर रहो. यहाँ पर जागृत होनेका यही तो लाभ (फल) है. कोई चतुर सज्जन यह रहस्य समझकर चेत जाए.
Once the soul is awakened in Paramdham, and also have realised the original relationship with the Beloved Lord, embodiment of bliss Shyama and BrahmShristis. At this moment you live amongst the other devotees (sundarsath), bowing at each other’s feet. Be humble like sand under their sole. This is the fruit of being awakened here, realise this O the intelligent and wise one. To be humble and soft and kind after awakening is a great opportunity to achieve the appreciation from the Lord.
ज्यों ज्यों गरीबी लीजे साथ में, त्यों त्यों धनी को पाइए मान ।
इत दोए दिन का लाभ जो लेना, एही वचन जानो परवान ।।१२
तुम सुन्दरसाथके साथ जितना अधिक विनम्र व्यवहार करोगे, उतना ही धनीजीका प्रेम और मान प्राप्त करोगे. यहाँ थोड.े ही दिन रहकर उसका लाभ लेना है. मेरे इन वचनोंको प्रमाणरूप समझो.
The more humility you bring in yourself, the more you will please the Lord and receive his admiration.
The more humble you behave the more you will receive Lord’s appreciation. Human life span is very short, these few moments are very crucial. You take advantage of these moments and take my words as the postulate.
अब जो साइत इत होत है, सो पीउ बिना लगत अगिन ।
ए हम सह्यो न जावहीं, जो साथ में कहे कोई कुटक वचन ।। १३
अब यहाँ पर जागृत होने पर धनीके बिना जो भी समय व्यतीत होगा, वह अग्निके समान दाहक सिद्ध होगा. यदि सुन्दरसाथ परस्पर व्यवहारमें कटु वचन बोलने लगें, तो वह मुझसे सहन नहीं हो सकेगा.
The moment after the awakening and separation of the Lord is like burning in fire. At such hour when one is awakened, life without Lord has become painful like flame, sundarsaths fight amongst with each other and spill bitterness to one another is like adding salt to the injury and is very unbearable to me says Greater Intelligence.
ज्यों ज्यों साथ में होत है प्रीत, त्यों त्यों मोही को होत है सुख ।
ज्यों ज्यों ब्रोध करत हैं साथ में, अंत वाही को है जो दुख ।।१४
ज्यों-ज्यों सुन्दरसाथमें पारस्परिक प्रेमभाव बढ.ता जाता है, त्यों-त्यों मुझे उत्तरोत्तर सुखका अनुभव होता है. परन्तु यदि सुन्दरसाथमें कोई विरोध पैदा करता हैं, तो अन्तमें उसे ही दुःख भोगने पड.ेंगे.
The behaviour that brings harmony and love amongs the sundarsath gives immense pleasure to Swami Prannathji. One who tries to create conflicts amongst the sundarsath, must suffer miserably later.
इत खिनका है जो लटका, जीत चलो भावे जो हार ।
महामत हेत कर कहें साथ को, विध विध की करत पुकार ।। १५
यह संसार क्षणभङ्गुर है, इसलिए यहाँ पर धनीजीकी आज्ञाानुसार चलकर इच्छित सफलता प्राप्त करो अथवा आज्ञााका उल्लङ्घन कर असफलताके भागी बनो. इस प्रकार महामति प्रेम पूर्वक कहकर सुन्दरसाथको जागृत करनेके लिए विभिन्न प्रकारसे पुकार रहे हैं.
In this momentary perishable world, either you accept Lord’s will or reject it. Remember this world is momentary either you leave this as a winner or a loser as you wish. The Greater Intelligence (Cosmic Universal Mind) out of compassion is persistently requesting everyone to be awakened using various technique.
प्रकरण ८९
श्री किरन्तन
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