दुनी नाम सुनत नरक छूटत, इनोंपें तो असल नाम।
दिल भी हकें अरस कह्या, याकी साहेदी अल्ला कलाम।।८४
इस नश्वर जगतके जीव भी अपने स्वामी (ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि) का नाम सुनते ही नरकसे छुटकारा प्राप्त करते हैं तो इन ब्रह्मात्माओंके पास तो अपने स्वामी पूर्णब्रह्म परमात्माका मूल नाम अनादि अक्षरातीत श्रीकृष्ण है. स्वयं परब्रह्म परमात्माने इनके हृदयको परमधामकी संज्ञाा दी है. कुरान आदि धर्मग्रन्थ भी इन्हीं ब्रह्मात्माओंकी साक्षीके लिए हैं.
Taking the name of masters of this world(Brahma, Vishnu, Mahesh) one gets relieved from the suffering of the hell and this NAME is the real one. The Lord has said the heart of the celestial souls is the Arash (Paramdham) and witness is given in the Holy Quran.
इलम भी हकें दिया, इनमें जरा न सक।
सो क्यों न करें फैल वतनी, करें कायम चौदे तबक।।८५
स्वयं अक्षरातीत श्रीकृष्णने प्रकट होकर इन ब्रह्मात्माओंको तारतम ज्ञाान दिया है, इसमें लेशमात्र भी सन्देह नहीं है. इसलिए ब्रह्मात्माएँ इस जगतमें परमधामका व्यवहार कैसे नहीं करेंगी ? जिन्होंने इन चौदह लोकोंको भी अखण्ड कर दिया है.
The wisdom about the Supreme Master given by the Lord, the celestial souls will never ever doubt. Why wouldn't their action show the path of Paramdham(their behaviour will reflect the essence of Paramdham i.e. they will walk the talk) and its they who will make all the 14 planes eternal.
प्रतिबिंब के जो असल, तिनों हक बैठे खेलावत।
तहां क्यों न होए हक नजर, जो खेल रूहों को देखावत।।८६
इन्हीं पूर्णब्रह्म परमात्माने इन ब्रह्मात्माओंके मूल स्वरूप (परआत्मा) को अपने निकट बैठाकर यह नश्वर खेल दिखाया है. इन पर-आत्माके ऊपर उनकी कृपादृष्टि क्यों नहीं होगी जिनको वे अपने चरणोंमें बैठाकर यह खेल देखा रहे हैं.
The reflection of the original, the Akshar and the souls are under the Supreme and He is programming this game. Then why would He not see the game that He is showing to the souls. He is aware of our every actions.
आडा पट भी हकें दिया, पेहेले ऐसा खेल सहूरमें ले।
जो खेल आया हक सहूर में, तो क्यों न होए कायम ए।।८7
सर्वप्रथम पूर्णब्रह्म परमात्माने ऐसा नश्वर खेल दिखानेका विचार कर इन ब्रह्मात्माओंके हृदयमें भ्रम (फरामोशी) का आवरण डाल दिया. जो नश्वर खेल सर्वप्रथम पूर्णब्रह्म परमात्माके हृदयमें आ गया है, वह कैसे अखण्ड नहीं होगा ?
First Lord thought of this game and then he gave the veil between Him and the souls. What game that crossed the mind of Supreme how can that be not eternal!
हुए इन खेल के खावंद, प्रतिबिंब मोमिनों नाम।
सो क्यों न लें इसक अपना, जिन अरवा हुजत स्यामा स्याम।।८८
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इन ब्रह्मात्माओंके प्रतिबिम्बके नाम भी स्वप्नवत् जगतके खेलके स्वामीके रूपमें माने गए हैं. जिनको अपने श्यामाश्यामका अधिकार प्राप्त है ऐसी आत्माएँ अपने हृदयमें अपने स्वामीका प्रेम क्यों धारण नहीं करेंगी ?
The image of the name of celestial souls will be the master of this game. Then why wouldn't the souls grace the love on whose heart resides Shyama and Shyam (The name of our Lord Shyam and Shyama is ceaselessly repeated in the heart of the souls and where there is contemplation of the Lord, He makes it His abode and resides there!)
बडी बडाई इनकी, जिन इसकें चौदे तबक।
करम जलाए पाक किए, तिन सबों पोहोंचाए हक।।८९
इन ब्रह्मात्माओंकी महिमा अत्यन्त श्रेष्ठ है. इनके प्रेमके प्रभावने चौदह लोकोंके जीवोंके कर्मबन्धन भस्मीभूत कर उनके हृदयको पवित्र बनाया एवं उन सभीको अखण्ड मुक्ति प्रदान की है.
It is the greatness of celestial souls who introduced the divine love in this 14 planes of existence. All the karma(fruits of good/bad deeds) is burnt and the souls are purified and all take them to the Supreme.
The brahmashristhi will show the path of Paramdham, will destroy all the karma(fruits of action) and purify the souls and take them to the Lord. Thus brahmashrishthi are very praiseworthy.
इनों धोखा कैसा अरस का, जिन सूरतें खेलावें असल।
खेलाए के खैंचें आपमें, तब तो असलै में नकल।।९०
इन ब्रह्मात्माओंको अपने मूल घर परमधामके विषयमें कैसे सन्देह हो सकता है जिनके मूल स्वरूप (पर-आत्मा) को अपने चरणोंमें बैठाकर श्रीराजजी यह नश्वर खेल दिखा रहे हैं. जब श्रीराजजी इस नश्वर खेलको दिखाकर इसे अपने हृदयमें संवरण कर लेंगे तब ब्रह्मात्माओंकी सुरताएँ भी अपने मूल स्वरूपमें ही जागृत होंगी.
How can the celestial souls(arvahen,chosen souls , brahmashristhi, friend of Lord) of Arash, Paramdham Supreme abode can ever be mistaken about the abode when Lord Supreme keeping the souls closely with him is showing this game of the perishable world.
After the sport is over, Lord will take back his attention from this and take back the celestial soul's astral body will return to the original self.
प्रकरण २१ सिनगार
इन ब्रह्मात्माओंके प्रतिबिम्बके नाम भी स्वप्नवत् जगतके खेलके स्वामीके रूपमें माने गए हैं. जिनको अपने श्यामाश्यामका अधिकार प्राप्त है ऐसी आत्माएँ अपने हृदयमें अपने स्वामीका प्रेम क्यों धारण नहीं करेंगी ?
The image of the name of celestial souls will be the master of this game. Then why wouldn't the souls grace the love on whose heart resides Shyama and Shyam (The name of our Lord Shyam and Shyama is ceaselessly repeated in the heart of the souls and where there is contemplation of the Lord, He makes it His abode and resides there!)
बडी बडाई इनकी, जिन इसकें चौदे तबक।
करम जलाए पाक किए, तिन सबों पोहोंचाए हक।।८९
इन ब्रह्मात्माओंकी महिमा अत्यन्त श्रेष्ठ है. इनके प्रेमके प्रभावने चौदह लोकोंके जीवोंके कर्मबन्धन भस्मीभूत कर उनके हृदयको पवित्र बनाया एवं उन सभीको अखण्ड मुक्ति प्रदान की है.
It is the greatness of celestial souls who introduced the divine love in this 14 planes of existence. All the karma(fruits of good/bad deeds) is burnt and the souls are purified and all take them to the Supreme.
The brahmashristhi will show the path of Paramdham, will destroy all the karma(fruits of action) and purify the souls and take them to the Lord. Thus brahmashrishthi are very praiseworthy.
इनों धोखा कैसा अरस का, जिन सूरतें खेलावें असल।
खेलाए के खैंचें आपमें, तब तो असलै में नकल।।९०
इन ब्रह्मात्माओंको अपने मूल घर परमधामके विषयमें कैसे सन्देह हो सकता है जिनके मूल स्वरूप (पर-आत्मा) को अपने चरणोंमें बैठाकर श्रीराजजी यह नश्वर खेल दिखा रहे हैं. जब श्रीराजजी इस नश्वर खेलको दिखाकर इसे अपने हृदयमें संवरण कर लेंगे तब ब्रह्मात्माओंकी सुरताएँ भी अपने मूल स्वरूपमें ही जागृत होंगी.
How can the celestial souls(arvahen,chosen souls , brahmashristhi, friend of Lord) of Arash, Paramdham Supreme abode can ever be mistaken about the abode when Lord Supreme keeping the souls closely with him is showing this game of the perishable world.
After the sport is over, Lord will take back his attention from this and take back the celestial soul's astral body will return to the original self.
प्रकरण २१ सिनगार
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