एह बल जब तुम किया, तब अलबत बल सुख धाम ।
अरस परस जब यों हुआ, तब सुख देवें स्यामा स्याम ।।१7
इसके लिए यदि तुमने साहस किया तो तुम्हें निश्चय ही परमधामके अखण्ड सुखोंका अनुभव होने लगेगा. इस प्रकार जब आत्मा और पर-आत्मामें सुखोंका आदान-प्रदान होगा तब श्यामश्यामाजी तुम्हें अखण्ड सुखका अनुभव करवाएँगे.
You have been courageous that you determined to experience the bliss of Paramdham. Once you have soaked in the love completely, Shyama and Shyam will shower you with eternal bliss.
प्रकरण ४ parikrama
So we must remember the bliss of Paramdham, Shyam-Shri Krishna, Shyama, sundarsath, the oneness and thus sprout the love in the heart, be soul conscious, eliminate the ego-body consciousness and unite with our super soul.
The love in the heart of the soul, beloved residing in the heart one though physically here experiences the bliss of Paramdham.
अरस परस जब यों हुआ, तब सुख देवें स्यामा स्याम ।।१7
इसके लिए यदि तुमने साहस किया तो तुम्हें निश्चय ही परमधामके अखण्ड सुखोंका अनुभव होने लगेगा. इस प्रकार जब आत्मा और पर-आत्मामें सुखोंका आदान-प्रदान होगा तब श्यामश्यामाजी तुम्हें अखण्ड सुखका अनुभव करवाएँगे.
You have been courageous that you determined to experience the bliss of Paramdham. Once you have soaked in the love completely, Shyama and Shyam will shower you with eternal bliss.
प्रकरण ४ parikrama
So we must remember the bliss of Paramdham, Shyam-Shri Krishna, Shyama, sundarsath, the oneness and thus sprout the love in the heart, be soul conscious, eliminate the ego-body consciousness and unite with our super soul.
The love in the heart of the soul, beloved residing in the heart one though physically here experiences the bliss of Paramdham.
इन्द्रावतीसुं अतंत रंगे, स्याम समागम थयो।
साथ भेलो जगववा, इन्द्रावतीने में कह्यो।।१३५
इन्द्रावतीकी अन्तरात्मामें धामधनीका समागम हो गया है. सद्गुरु कहते थे कि समस्त ब्रह्मसृष्टिको एकसाथ जागृत करनेके लिए मैंने इन्द्रावतीसे कहा है अर्थात् जागनीका उत्तरदायित्व इन्द्रावतीको सौंपा है.
प्रकरण १२ श्री कलस (गुजराती)
Lord Shyam has united with Indrawati and to asked her to awaken other sundarsath. Indrawati is bhramvasana residing in Meharaj Thakkar. Brahmvasana unites with with Lord Shyam of Paramdham. This is the last chaupai of Shri Kalash Gujrati Granth.
साथ भेलो जगववा, इन्द्रावतीने में कह्यो।।१३५
इन्द्रावतीकी अन्तरात्मामें धामधनीका समागम हो गया है. सद्गुरु कहते थे कि समस्त ब्रह्मसृष्टिको एकसाथ जागृत करनेके लिए मैंने इन्द्रावतीसे कहा है अर्थात् जागनीका उत्तरदायित्व इन्द्रावतीको सौंपा है.
प्रकरण १२ श्री कलस (गुजराती)
Lord Shyam has united with Indrawati and to asked her to awaken other sundarsath. Indrawati is bhramvasana residing in Meharaj Thakkar. Brahmvasana unites with with Lord Shyam of Paramdham. This is the last chaupai of Shri Kalash Gujrati Granth.
महंमद आया ईसे मिने, तब अहंमद हुआ स्याम।
अहंमद मिल्या मेहेदी मिने, ए तीन मिल हुए इमाम।।२१
कुरानके अनुसार रसूल मुहम्मदमें विद्यमान ब्राह्मीशक्ति जब ईसा रूहअल्लाह श्री देवचन्द्रजीमें प्रविष्ट होती है तब वे अहमद स्वरूप कहलाते हैं. जब ये अहमद स्वरूप महदीमें प्रविष्ट होते हैं तब ये तीनों स्वरूप एक होकर इमाम कहलाते हैं.
प्रकरण १५ श्री खुलासा
When Devachandraji united with the Shyam residing in Mahamad and became Ahmad, when Ahmad united with Mehadi and thus became Imam. This is how Mahamati Prannathji has become Imam Mehadi.
Mahamati Prannath compliled the Tartam gyaan(wisdom of beyond) in Kuljam Swaroop - Swaroop saheb (Our holy book we must treat it as the Aksharateet Shri Krishna the Master of the universe). Every word is word from Aksharateet Shri Krishna residing in Mahamati Prannathji.
अहंमद मिल्या मेहेदी मिने, ए तीन मिल हुए इमाम।।२१
कुरानके अनुसार रसूल मुहम्मदमें विद्यमान ब्राह्मीशक्ति जब ईसा रूहअल्लाह श्री देवचन्द्रजीमें प्रविष्ट होती है तब वे अहमद स्वरूप कहलाते हैं. जब ये अहमद स्वरूप महदीमें प्रविष्ट होते हैं तब ये तीनों स्वरूप एक होकर इमाम कहलाते हैं.
प्रकरण १५ श्री खुलासा
When Devachandraji united with the Shyam residing in Mahamad and became Ahmad, when Ahmad united with Mehadi and thus became Imam. This is how Mahamati Prannathji has become Imam Mehadi.
Mahamati Prannath compliled the Tartam gyaan(wisdom of beyond) in Kuljam Swaroop - Swaroop saheb (Our holy book we must treat it as the Aksharateet Shri Krishna the Master of the universe). Every word is word from Aksharateet Shri Krishna residing in Mahamati Prannathji.
मंगल गाइए दुलहे के, आयो समे स्यामा वर स्याम।
नैनों भर भर निरखिए, विलसिए रंग रस काम।।१०
इसलिए अब प्रियतम परमात्माके शुभगुणोंका गायन करो, क्योंकि सुन्दरवर श्याम-श्यामाको मिलनेका समय आ गया है. अब नयन भरकर युगल स्वरूपके दर्शन करो और प्रेमानन्द लेते हुए उनके साथ विलास करो.
प्रकरण ८० श्री किरन्तन
नैनों भर भर निरखिए, विलसिए रंग रस काम।।१०
इसलिए अब प्रियतम परमात्माके शुभगुणोंका गायन करो, क्योंकि सुन्दरवर श्याम-श्यामाको मिलनेका समय आ गया है. अब नयन भरकर युगल स्वरूपके दर्शन करो और प्रेमानन्द लेते हुए उनके साथ विलास करो.
प्रकरण ८० श्री किरन्तन
No comments:
Post a Comment