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Monday, April 9, 2012

श्री कृष्ण महा मंत्र "निजनाम"

' मन्त्र ' शब्द ' मत्रि ' धातु से निकला है जिसका अर्थ है - ' गुप्त प्रभाषण ' अर्थात जो प्रियतम परमात्मा के दिव्य सन्देश पु्र्ण समर्पित भाव से कान में धीमें स्वर में सुन पडे - उसे मंत्र कहते है । जब बीज मंत्र निजनाम चुपचाप (मौन होकर) आत्मा से ह्र्दय में उच्चरित होता है, तो उसका नित्य आनन्दमय परिणाम पुर्ण रूप से प्राप्त होता है । अध्यात्म शास्त्र का विशेष विधान है कि निजनाम मंत्र जप को जितना ही गुप्त रखा जाता है, उससे परमधाम की उतनी ही अधिक चिनमय आन्तरिक शक्ति प्रगत होती है - श्रीजी महाराज इसीलिये कहते है - "छिपके साहेब कीजे याद । "

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