Understanding the philosophy of Nijananda संप्रदाय।
सतगुरु ब्रह्मानंद है,सुत्र है अक्षर रुप |
सिखा सदा तीनसे परे ,चैतन्य चित जो अनुप ||१||
सेवन है पुरोषोत्तम,गोत्र चिदानंद जान |
परमकिशोरी ईस्ट है ,पतिब्रता साधन मान ||२||
श्री युगल किशोरको जाप है,मन्त्र तारतम सोहे |
ब्रह्मबिद्या देवी सही ,पुरी नौतन मम जोए ||३||
अठोतर सौ पख शाखा सही,शाला है गोलोक |
सतगुरु चरण को क्षेत्र है,जहाँ जाए सब शोक ||४||
सुख विलास माहे नित्य ब्रिन्दाबन,ऋषि महाबिष्णु है जोय |
बेद हमारो स्वसम है ,तिर्थ जमुनाजी सोहे ||५||
सास्त्र श्रवण श्री भागवत,बुद्ध जागृतिको ज्ञान |
कुल मूल हमारो आनन्द है,फल नित्य बिहार प्रमाण ||६||
दिव्य ब्रह्मपुर धाम है,घर अक्षरातित निवास |
निजानंद है सम्प्रदाय,उत्तर प्रश्न प्रकाश ||७||
धनि श्री देवचन्द्रजी निजानंद,तिन प्रकट करी सम्प्रदाय येह |
तिनथे हम येह लखी है ,हम द्वार पावे अब तेह||८||
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