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Monday, April 23, 2012

Ranjana Oli

एक ईमान दूजा इसक, ए पर मोमिन बाजू दोए ।
पट खोल पोहोंचावे लुदंनी, इन तीनों में दुनीपे न कोए ।।१८


ब्रह्मात्माओंको उड.ान भरनेके लिए एक ओर विश्वासका पङ्ख है तो दूसरी ओर प्रेमका पङ्ख है. इनके पास वह तारतम ज्ञान है जो अज्ञानके आवरणोंको दूर कर ...परमधामका अनुभव करवा सकता है जबकि नश्वरजगतके जीवोंके पास न प्रेम है, न विश्वास है और न ही इस प्रकारका ज्ञान है.

Faith and Love are the two wings of the celestial souls. The moment they open the holy book of wisdom like (Bhagawat, Quran,Tartamsagar) they experience the abode. The wordly people are missing all three faith,love and wisdom. (Even if they get hold of the book they cannot understand the mysticism and create confusions and divisions.)


ए दुनी चले चाल वजूद की, उमत चले रूह चाल ।

लिख्या एता फरक कुरानमें, दुनी उमत इन मिसाल ।।१९


नश्वर जगतके जीव शरीरके द्वारा (कर्मकाण्डके मार्ग पर) चलते हैं जबकि ब्रह्मात्माएँ आत्माकी रीतिसे चलतीं हैं. इस प्रकार कुरानमें नश्वर जगतके जीव एवं ब्रह्मात्माओंमें इतना अन्तर लिखा है.

The worldly people take the path of physical existence and take to rites and rituals. While the celestial souls realise the spiritual entity(soul). There is difference in these two beings.


कह्या दुनियां दिल मजाजी, सो उलंघे ना जुलमत ।

दिल अरस हकीकी मोमिन, ए कहे कुरान तफावत ।।२०


नश्वर जगतके जीवोंका हृदय भ्रमित है इसलिए वे शून्य-निराकारको पार कर आगे नहीं बढ. सकते जबकि ब्रह्मात्माओंका हृदय सत्य परमात्माका धाम कहा गया है. कुरानमें इन दोनोंमें यह अन्तर कहा गया है.

The mind of the worldly being (physical existence) is confused. Their desires also are physical and materialistic. They cannot achieve beyond the formless nothingness (Sunya, Nirakaar Niranjan). The world is miserable because of ego when one subdues the ego one experiences the peace (If you are walking on fire you are hurt when you leave the fire you will feel good but that is called relief not the supreme bliss)

But the heart of the celestial souls is the eternal abode as Supreme Brahm Shri Krishna of Aksharateet resides in their heart. Thus holy Quran distinguishes between the two beings.


इनमें रूह होए जो अरस की, सो क्यों रहे दुनीसों मिल ।

कौल फैल हाल तीनों जुदे, तामें होए ना चल विचल ।।२१


इस जगतमें जो परमधामकी आत्माएँ होंगी वे नश्वर जगतके जीवोंके साथ मिल कर कैसे रह सकेंगीं ? क्योंकि उन दोनोंके मन, वचन एवं कर्म तीनों ही भिन्न-भिन्न प्रकारके होंगे, जिनमें कोई परिवर्तन नहीं होगा.

The celestial souls in this world, who are from the Paramdham always long for the beloved Lord, how can they integrate with the beings who aspire for the worldly (physical and materialistic) pleasures. There is no relation between the speech, action and living of the worldly beings. The worldly say one thing, think and act another.

Where as, the celestial souls, the mind, speech and actions are corelated, they walk the talk and pursue the truth.


सरीयत करे फरज बंदगी, करे जाहेर मजाजी दिल ।

बका तरफ न पावे अरस की, ए फानी बीच अंधेर असल ।।३३


नश्वर जगतके जीव कर्मकाण्डके आधार पर औपचारिक पूजा-वन्दना करते हैं. उनका हृदय असत्यकी ओर उन्मुख होता है. इनको अखण्ड परमधामकी दिशा प्राप्त न होनेसे ये नश्वरताको ही सत्य समझ कर अज्ञाानरूप अन्धकारमें पड.े रहते हैं.

The worldly being follow the rituals and pray as a formality towards God. Their mind is restless. They strive towards name,fame and glory.

Their objective is to be recognised by others, they strive to rule in other's lives and do not know themselves.

Their desires are materialistic and physical. They cannot concentrate on the deeper meanings of the scriptures. They do not aspire for the eternal abode or the beloved Lord and live in the darkness of ignorance.


दिल हकीकी जो मोमिन, सो लें माएने बातन।

हक इलम इसक हजूरी, रूहें चलें बका हक दिन।।३४


ब्रह्मात्माएँ सत्यहृदया कहलातीं हैं वे ही धर्मग्रन्थोंके गूढ. रहस्योंको ग्रहण करतीं हैं. वे तारतम ज्ञाानरूपी ब्रह्मज्ञाानको प्राप्त कर प्रेमपूर्वक परब्रह...्म परमात्माकी सेवा करतीं हैं. ये ब्रह्मात्माएँ ब्रह्मज्ञाानके प्रकाशमें अखण्ड धामका मार्ग ग्रहण करतीं हैं.

The will of the Lord rules the heart of the celestial souls. They gain the understanding of the true meaning in the scriptures. With the light of the Lord as the Commander, wisdom, love and devotion these souls reach the abode of the Lord.

श्री कयामतनामा (छोटा)




कहे महंमद सुनो मोमिनों, ए उमी मेरे यार।
छोड दुनी ल्यो अरस को, जो अपना वतन नूर पार।।7३

हे ब्रह्मात्माओ ! सुनो, श्यामाजी (सद्गुरु) ने भी यही कहा है कि ये अनपढ. (उभी-चातुर्यपूर्ण लौकिक ज्ञाानसे अनभिज्ञा)) आत्माएँ ही मेरे श्रेष्ठ मित्र हैं. इस...लिए नश्वर संसारको छोड.कर अखण्ड धामका मार्ग ग्रहण करो, अक्षरसे भी परे हमारा अक्षरातीत परमधाम है.
O my celestial souls, Satguru also has said these less knowledgeable souls are my true friends and not those who think themselves very street smart (loaded with extra knowledge), Reject the world and accept our original abode the Paramdham -Aras (that is beyond Noor Akshar where resides Tajalla Noor Aksharateet)
प्रकरण ३ श्री खुलासा

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