श्री खुलासा
परमधाम से अवतरीत अनादि
अक्षरातीत श्री क्रिष्ण कि दिव्य ली्लाओ के परम गोपनिय रहस्य जो कुरान और पुराण दोनों में सांकेतिक भाषा में छिपे हुये थे उनमें
निहित श्री क्रिष्ण कि लीला के रहस्य
को स्पष्ट करने के लिए इस कलियुग
के अन्तिम चरण में ‘ निजनाम " का अवतरण हुआ :-
इनमें फुरमान ल्याया
रसूल , देने अपनी खबर आप ।
फुरमान कोई ना खोल
सके, जाथें होए हक मिलाप ॥
फुरमान एक दुसरा, सुकजी
ल्याए भागवत ।
ए खोल सके ना त्रैगुन,
यामें हमारी हकीकत ॥ (खुलासा ८/९ – १०)
खुलासा ग्रन्थ के प्रकरण
१३ में भागवत और कुरान के कथान को में श्री क्रिष्ण लीला के रहस्यो को इस प्रकार खोला
गया है :-
कंसे काला ग्रुह में,
किए वसुदेव देवकी बंध ।
भानेज मारे आपने, एसा
राज मद अंध ॥
नूह काफर के बंध में,
रहे साल चालीस ।
बेते मारे कै दुख दिए, तो भी काफरे न
छोडी रीस ॥
कहे वेद बैकुंथ से, आए चतुर्भुज दिया दीदार ।
वसुदेव तिन सिखापन,
स्याम पोहोंचाया नंद द्वार ॥ (खुलासा १३/१ – ३)
खेल हुआ जो लैल में,
तकरार जो अब्बल ।
उतरी रुहे फिरस्ते,
अरस के असल ॥
सात रात आठ दिन का, सुके कह्या इंद्रकोप ।
भेजी वाये जल अगनी,
प्रले को म्रुत लोक ॥
सात रात आठ दिन का, हुआ तोफान हूद मेहतर ।
राखी रुहे कोहतूर तले, और डूब मुए काफर ॥
हूद कह्या नंद जीय
को, टापू ब्रज अखंड ।
कोहतूर गोवरधन कह्या, न्यारा जो ब्रह्माण्ड ॥
जोमाया की नाव कर, तित सखिया लई बुलाए ।
सो शोभा है अति बडी,
जित सुख लीला खेलाए ॥ (खुलासा १३/८, १०-१२)
वेदें कह्या स्याम
ब्रज में, आए नंद के घर ।
पीछे आए रास में, इत
हुई नहीं फजर ॥
ब्रह्म स्रुष्टि सखियां स्याम संग, खेले ब्रज रास के मांहे ।
ए सुनियो तुम बेवरा,
खेल फजर तीसरा इहांए ॥ (१३/१५, २३)
श्री क्रिष्णजी ए ब्रज
रास में, पूरे ब्रह्मस्रुष्टि मन काम ।
सोई सरूप ल्याया फुरमान,
तब रसूल केहेलाया स्याम ॥ (१३/७५)
मोमन तीनों तकरार में,
जाहेर होसी लैलत कदर ।
एक दीन होसी दुनी में,
सुख कायम बखत फजर ॥ (१३/४७)
तीन सरुप कहे वेद ने, बाल किसोर बिढापन ।
ब्रज रास प्रभात को, ए बुध जी को रोसन ॥ (१३/६९)
इस प्रकार श्री जी
महाराज कहते है कि परमधाम से अवतरीत अनादि अक्षरातीत श्री क्रिष्ण के जिस स्वरुप ने
ब्रज और रास लीला ओ में ब्रह्मांगनाओ के सभी मनोरथ पूर्ण किए थे, वही स्याम स्वरुप श्री क्रिष्ण का अरब देश में परब्रह्म परमात्मा
का परमधाम संदेश ले आने के कारण रसूल मुहम्मद कहलाए । वेद शास्त्रो में भी बताया गया
है कि अक्षर ब्रह्म की जाग्रुत बु्द्धि को लेकर वही श्याम स्वरुप निष्कलंक बुधावतार
तारतम ज्ञान के माध्यम से समस्त जगज्जीवो को अखंड मुक्ति प्रदान करेंगे :-
वेद कहे बुध इन पें,
और बुध सुपन ।
ए ही सब को जगाए के, देसी मुक्ति त्रैगुन ॥
इन विध लिख्या वेद
में, सो आए स्याम बुध जी इत । (१३/३६, ७९)
अतएव वही स्याम स्वरुप
श्री क्रिष्ण जी बुधावतात महामति श्री प्राणनाथ जी स्वरुप में प्रकट हुए हैं ।
महंमद श्री क्रिष्ण
जी स्याम । (खुलासा १२/५३)
प्रणामजी सब सुंदरसाथजी
को
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