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Friday, April 20, 2012

Who is our Mehboob

Who is our Mehboob and why there is confusion? Why some people cannot understand?
इत खेलत स्याम गोपियां, ए जो किया अरस रूहों विलास।
है ना कोई दूसरा, जो खेले मेहेबूब बिना रास।।१३

इस रासमण्डलमें अक्षरातीत श्री कृष्ण एवं परमधामकी ब्रह्मात्माओं (गोपियों) ने लीला-विलास किया. वस्तुतः प्रियतम धनी अक्षरातीत श्री कृष्णके अतिरिक्त अन्य कौन रासलीला रचा सकता है ?

Here the Shyam and Gopiya are playing, this is the sport/recreation of the soul of Arash(Paramdham). And non but our beloved is playing the Raas.
The celestial souls played Raas with no one but the beloved Mehboob the Shyam!

ए हमारी अरस न्यामतें, याके हम पें सहूर।
कह्या कतरा नूर का, चुआ है अंकूर।।१४

यह रासलीला हमारी परमधामकी सम्पदा है. इसलिए इसकी समझ भी हमारे पास ही है. यह रास मण्डल अक्षरब्रह्मके तेजका अंश होनेसे इसका सम्बन्ध भी अक्षरब्रह्मसे ही अङ्कुरित है.
This is the treasures of celestial soul and only we can only contemplate, this Raas is sprouted from Akshar brahm’s splendourous power (a droplet) and hence is extremely splendours.Only celestial souls can contemplate this Raas sport as a soul's treasure in yogmaya brahmand.

इत सबद न पोहोंचे दुनी का, नेक इन की देऊं खबर ।
कायम हुआ सायत में, जो आया नूर नजर।।१५

संसारकी वैखरी (वाक शक्ति) वाणीके शब्दोंसे रासलीलाका वर्णन नहीं हो सकता, तथापि मैं इसका थोड.ा-सा वर्णन कर रहा हूँ. यह लीला अक्षरब्रह्मकी दृष्टिमें आनेसे उसी समय अखण्ड हो गई.
The speech cannot describe it (unspeakable), let me inform you first, since Akshar brahm witnessed the Raas and hence it became eternal.
Those who have not experience the raas must understand by what is explained but it cannot be explained or described this Mahamati is clearly telling, so how will duni understand it?
Hence I can understand the misunderstanding amongst dunis!

ए जो बात बका अरस नूर की, सो केहेनी या जिमी माहें ।
क्यों सुनसी दुनी इन कानों, जो कबहूं ना सुनी क्यांहें ।।१६

अखण्ड धामोंके प्रकाशकी बात इस नश्वर जगतमें करनी है, इसलिए नश्वर जगतके जीव इन बातोंको, जो कभी कहीं भी नहीं सुनी हैं, अपने कानोंसे कैसे सुन सकेंगे ?
To speak the splendour and light of the eternal Arash(Paramdham) in this physical world, why would the world pay attention to these words which was never spoken before (unheard to them)?
They cannot grasp it and cannot realize it. It is sometimes frustrating too! But those souls from Paramdham will immediately understand it and remember it!

कोट हिसे एक हरफ के, हिसाब किया मीहीं कर ।
एक हिसा न पोहोंच्या इन जिमी लग, ए मैं देख्या दिल धर ।।१

मैंने इस लौकिक वचनोंके एक-एक शब्दकी सूक्ष्मरूपसे गणना करते हुए करोड.ों भाग किए. उनमें-से एक भाग भी रास मण्डलका स्पर्श नहीं कर सका अर्थात् रास मण्डल तक पहुँच नहीं पाया. यह मैंने भलीभाँति विचार कर लिया.
I will divide my one word in millions and calculated it microscopically and not even a single piece could touch the jogmaya brahmand of Raas and pondering about it deep in my heart I have seen this.
Trying to speak the Jogmaya brahmand of Raas, there is no word which can make express it. Mahamati is trying to speak the unspeakable.

प्रकरण ३९ सनंध

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