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Friday, April 20, 2012

In Vrindavan we played रास.......

In Vrindavan we played Raas with Shri Krishna and Radha and they are none but Shyam and Shyama!

वृन्दावन तो जुगते जोयुं, स्याम स्यामाजी साथ।
रामत करसुं नव नवी, कांई रंग भर रमसुं रास।।२

... हे सखी ! हमने श्याम और श्यामाजीके साथ समस्त वृन्दावनकी शोभा भलीभाँति देख ली. अब हम विभिन्न प्रकारकी रामतें करेंगी और हृदयमें उल्लास भरकर रास खेलेंगी.
प्रकरण ११ श्री रास

We saw the splendour of the Vridavan along with Shyam Shyama and we will be playing new games and colorful plays of (variety of colors and types) Raas(that is full with nectar that is not dry)!

सिणगार सरवे सोहे, वालोजी खंत करी जुए।
जाणिए मूलगां रे होय, तारतम विना नव कोय, जाणे एह धन ।।४

सखियोंका शृङ्गार अति शोभायुक्त है. प्रियतम भी उन्हें उत्सुकतावश देख रहे हैं. मानों मूल (परमधाम) से ही यह प्रेम सम्बन्ध है किन्तु तारतम ज्ञाानके बिना कोई भी इस अखण्ड निधि (ब्रह्मात्माओं तथा श्रीकृष्णका प्रेम सम्बन्ध) को नहीं जान सकता.

The Brahmshritis are adorned beautifully and our beloved is looking with attention. This relationship is original(mool), without tartam, how can one understand this treasure!
प्रकरण १३ श्री रास
Shyamaji = Thakuraniji and Shyam Shri Krishna = Shri Raaj

उलास दीसे अंगों अंगे, श्री स्यामाजीने आज।
ठेक दई ठकुराणीजीए, जैने झाल्या श्री राज।।१५

आज श्रीश्यामाजीका अङ्ग-प्रत्यङ्ग उल्लसित दिखाई देता है. उन्होंने छलांग मारकर बड़ी चतुराईसे प्रियतम श्रीराजजीको पकड. लिया.
प्रकरण १५ श्री रास

Shri Thakurani is Shri Shyamaji and Shri Raaj is Shri Krishna ji. This is a chaupai from Shri Raas granth. The above chaupai is taking place at Yogmaya Raas mandal. The names Indravati sakhi who already has Tartam gyaan is narrating us the games the Brahmshritis are playing in Raas.

We are blessed with the words of Indravati Mahamati Prannath because of inspiration of our beloved Lord Shri Krishna who gave us the nijnaam mantra.

श्रीठकुरानीजी रूहअल्ला, महंमद श्रीकृस्नजी स्याम।
सखियां रूहें दरगाह की, सुरत अक्षर फिरस्ते नाम।।५३
इसी प्रकार श्रीठकुराणीजीको रूहअल्लाह एवं श्यामसुन्दर श्रीकृष्णजीको मुहम्मद कहा है तथा ब्रह्मात्माओंको दरगाहकी रूह एवं अक्षरब्रह्मकी सुरताको फरिश्ता नाम दिया है.
खुलासा फुरमानका (कुरानका स्पष्टीकरण)श्री खुलासा

पेहेलें भाई दोऊ अवतरे, एक स्याम दूजा हलधर।
स्याम सरूप है ब्रह्म का, खेले रास जो लीला कर।।२7

श्रीमद्बागवतके अनुसार व्रज मण्डलमें दो भाई अवतरित हुए. उनमें एक श्याम श्रीकृष्ण हैं और दूसरा हलधर बलभद्र हैं. उन दोनोंमें से श्याम ब्रह्मके स्वरूप हैं जिन्होंने रासलीला रचाई.
Shri Krishna - Shyam = Brahma!
It is the same Krishna(Shyam) came as nishkalank budhavatar!
श्री खुलासा

श्री प्रगटबानी -- श्री प्रकाश (हिन्दुस्थानी)
अब लीला हम जाहेर करें, ज्यों सुख सैयां हिरदे धरें ।
पीछे सुख होसी सबन, पसरसी चौदे भवन।।१

अब हम परमधामकी आनन्दमयी लीलाएँ प्रकट कर रहे हैं, जिनको हृदयमें धारण करने पर ब्रह्मात्माओंको अखण्ड सुखका... अनुभव होगा. इसके पश्चात् संसारके सभी लोगोंको भी आनन्द प्राप्त होगा. इस प्रकार इन लीलाओंका प्रकाश चौदह लोकोंमें फैल जाएगा.

अब सुनियो ब्रह्मसृष्ट बिचार, जो कोई निज वतनी सिरदार ।
अपने धनी श्री स्यामा स्याम, अपना बासा है निजधाम ।।२

हे परमधामकी शिरोमणि आत्माओ ! विचार पूर्वक सुनो. अपने धनी (आत्माके स्वामी) श्यामा-श्याम (श्यामावर श्याम) अक्षरातीत श्रीकृष्ण हैं और अपना मूल घर निजधाम - (परमधाम) है.

सोई अखंड अक्षरातीत घर, नित बैकुंठ मिने अक्षर ।
अब ए गुझ करूं प्रकास, ब्रह्मानंद ब्रह्मसृष्टि विलास ।।३

वही घर अखण्ड और अक्षरातीत कहलाता है और अक्षरब्रह्मके अन्तर्गत नित्य वैकुण्ठ माना गया है. अब मैं ब्रह्मसृष्टियोंके ब्रह्मानन्दमय नित्य विलासके गुह्य रहस्यको प्रकाशित करता हूँ.
Who is saying these vani? Out of mercy of Lord the Master of our soul is saying. This is the truth.
ए बानी चित दे सुनियो साथ, कृपा कर कहें प्राणनाथ ।
ए किव कर जिन जानो मन, श्रीधनीजी ल्याए धामथें बचन ।।४

हे सुन्दरसाथजी ! इन वचनोंको ध्यान देकर सुनिए, क्योंकि हमारे प्राणोंके नाथ सद्गुरु कृपा पूर्वक ये वचन कह रहे हैं. इनको कविताएँ मत समझना. साक्षात् धामधनी परमधामसे इन वचनोंको लेकर सद्गुरुके रूपमें पधारे हैं.

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