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Monday, April 9, 2012

श्री कृष्ण महा मंत्र "निजनाम" (श्री रास ग्रन्थ)

श्री रास ग्रन्थ:-

सखी ब्रषभान नंदनी, कंठ कर क्रिष्ण नी।
जोड एक अंगनी, रमती रंगे रास री॥
स्याम स्यामा जी जोड सुचंगी, जुओ सकल सुन्दरी।
सोभा मुखारविंदनी, करे माहो माहे हांस री॥ (श्री रास १६/१,२)

अन्तरधान के बाद सखिया परस्पर द्रुढतापुर्वक पक्का विश्वास व्यक्त करती हुई कह रही है कि जिनका नाम श्री क्रिष्ण है, वे हमे कदापि नहि छोड सकते, वे तो हम सबके ह्रदय मे ही नित्य विराजमान है:-

' आपण ने मुके नही,... जेहेनू नाम श्री क्रिष्ण । '
' जेनू नाम श्री क्रिष्ण जी, ते बैठा छे आपण माहें ॥ ' (श्री रास ३२/२२-२३)

श्री रास ग्रन्थ मे श्री क्रिष्ण के लिए श्री राज, श्री प्राणनाथ, बालाजी और श्याम शब्द अनेक बार आये है:-

श्री ठकुराणी जी श्री राज सो, भेला बेसे सदाए ।
आस बाई सुन्दरबाई, बेठी एणी उदाए ॥ (श्री रास ४६/३)
सखियो ने प्रीसे प्राण्नाथ । (श्री रास ४६/१८)

अनादि अखरातीत श्री क्रिष्ण जी के लिए 'श्याम' शब्द श्री रास ग्रन्थ से क्यामतनामा ग्रन्थ तक सर्वत्र आया है। इस प्रकार श्याम शब्द क्रिष्ण का पर्यायवाची है:-

सखी सखी प्रते स्याम, वाले जिए देह धरया ।
काई बल्लभ सू आ वार, आनंद अति करया ॥ (श्री रास ४४/१)

इस पुस्तक के लेखक है पन्ना धाम के पुजनीय धामीबाबाजी
प्रणाम्जी

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