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Monday, April 9, 2012

श्री कृष्ण महा मंत्र "निजनाम" (श्री सनंध ग्रन्थ)

श्री सनंध ग्रन्थ :-
श्री सनंध ग्रन्थ मे श्री क्रिष्न की ब्रज, रास और जागनी तीनो लीलाओ का स्पष्ट वर्णन है:-

वतन थे पीउ प्यारिया, आइया सबे मिल ।
इसी रात के बीच मे, करने को सैल ॥
सब रोसनाई इन मे, सांची कहियत है जेह ।
उतरी है पिया पास थे, रात नूर भरी है एह ॥
खेले एक रात मे, ब्रज रास जागन ।
वेर साइत भी ना हुई, यो होसी सब सैयन ॥ (सनंध ४१/४२,४१,३४)

... अर्थात परमधाम से परब्रह्म श्री क्रिष्ण जी ने अपनी प्रिय अंगनाओ के साथ मिल कर, इसी एक कद्र की रात मे ब्रज, रास और जागनी की लीलाए सोल्लास सम्पन्न की। परमधाम का जो कुछ प्रेमपुर्ण सत्य है उसका प्रकाश व प्रकटिकरण इसी ब्रज, रास और जागनी की महिमावान रात मे हुआ-जिसमे सैर करने के लिए अर्थात मायामय संसार का खेल देखने के लिए ब्र्ह्मात्माए परमधाम से यहा उतर आयी है। यथार्थ मे ब्रज और रास लीलाये जो अनादि अक्षरातीत श्री क्रिष्ण ने अपनी ब्रह्मात्माओ के साथ गोकुल और व्रुन्दावन मे सानंद की है, उनमे प्रियतम परब्रह्म श्री क्रिष्न (श्याम) के बिना और कोई भी नही हो सक्ता था - जो अपनी ब्रह्मांग्नाओ के साथ आनंद पूर्वक रास लीला रचा सके:-

इत खेलत स्याम गोपिया, ए जो किया अरस रुहो विलास ।
है ना कोई दूसरा, जो खेले मेहेबूब बिना रास ॥ (सनंध ३९/१३)

प्रणामजी

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